india and rajasthan gk
INDIAN MORDEN HISTORY FOR RAS EXAM
भारतीय इतिहास की शुरुआत (Beginning of Indian History)
भारत में ब्रिटिश सत्ता की स्थापना करने के दौरान एक प्रभावी सोर सुद्र्ड , सक्ष्म प्रसासनिक व्यवस्था के विकास के लिए आवशयक था की
भारत की सभ्यता , संस्कृति , परम्पराओ और रीतिरिवाजों का अध्य्यन किया जाये
समाज में इन विषयो का अध्ययन इतिहास के विषय क्षेत्र माना जाता हे
इसीलिए ब्रिटिश शासन कल में इतिहास क अध्ययन की आवशयकता पड़ी
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अंग्रेजो ने भारतीय इतिहास के अध्ययन के लिए अनेक एसियाटिक सोसाइटिस की स्थापना की
इन एसियाटिक सोसिटिस के द्वारा प्राच्य सभ्यताओं का अध्ययन किया गया जिसमे तीन देश थे -- भारत, चीन,जापान
इन सोसाइटीज के द्वारा अधिक भारतीय सभ्यताओं ,संस्कृति का अध्य्यन किया गया क्योंकि भारत ब्रिटिश उपनिवेशो म सबसे महत्वपूर्ण था
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प्रमुख एसियाटिक सोसायटीज --
1 . एसियाटिक सोसायटी ऑफ़ बंगाल (1784 )
2 . एसियाटिक सोसायटी ऑफ़ बम्बई (1804 )
3 . एसियाटिक सोसायटी ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन (1823 )
अंग्रेजो के द्वारा लगभग चार दसक में तीन प्रमुख सोसायटीज की स्थापना की गयी
इन सोसायटीज के द्वारा सबसे महत्वपूर्ण कार्य किया गया वः था भारतीय ग्रंथो का प्राच्य भासाओ में अनुवाद जिनमे प्रमुख --
कालिदास का अभिज्ञान सकुंतलम
और प्रमुख स्मृति में मनुस्मृति
एसियाटिक सोसयटिस से सम्भंधित प्रमुख विद्वान हे (The main scholar related to asiatic society )
सर विलियम जोन्स
मेक्स मुलर.
जोन्स जहा ब्रिटेन विद्वान था वही मेक्स मुलर जर्मन विद्वान् था
मेक्स मुलर भारतीय ग्रथो के अनुवाद से इतने प्रभावित हुए की उन्होंने अपना नाम मेक्स मुलर से मोक्ष मुलर रख लिया
भारतीय संस्कृति के अध्ययन के कर्म में 19 वि सदी के prsidh ब्रिटिश विद्वान् जोन्स मिल ने भारत का इतिहास लिखा
ब्रिटिश भारत का इतिहास History of British India (1817)
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भारतीय इतिहास के अध्ययन के कर्म में उन्होंने भारतयीय इतिहास का वर्गीकरण प्रस्तुत किया
इस प्रकार वे विश्व के पहले विद्वान् हे जिन्होंने भारतीय इतिहास का वर्गीकरण प्रस्तुत किया --
1 . हिन्दू भारत (HINDU INDIA )
आरम्भिक कल से लेकर 1200 ईस्वी तक
2 . मुस्लिम भारत (MUSLIM INDIA )
1200 ईस्वी से लेकर 1757 ईस्वी तक
3 . ब्रिटिश भारत (BRITISH INDIA )
जेम्स मिल के वर्गीकरण के पक्ष में तक
→ जेम्स मिल का यह मानना था की प्राचीन भारत के शासक वर्ग के लोग हिन्दू थे, हिन्दू धर्म को संरक्षण प्रदान कर रहे थे तथा उनके प्रशासन ग्रंथ था। का आधार हिन्दू धर्म
-इसी प्रकार मध्यकाल के शासक वर्ग के लोग मुस्लिम थे, उन्होने इस्लाम धर्म को संरक्षण प्रदान किया और उनके प्रशासन का आधार इस्लामी
धर्म शास्त्र था।
दूसरे शब्दों मे प्राचीन और मध्यकालीन शासन व्यवस्था धर्म तंत्री शासन व्यवस्था थी
जेम्स मिल का यह भी मानना है की भारत मे ब्रिटिश सत्ता की स्थापना, के साथ ही धर्म तंत्री शासन व्यवस्था समाप्त हो गई और यहा एक पंथ निर्पेक्ष राष्ट्र की स्थापना हुई।
- इस प्रकार जेम्स मिल ने यह साबित करने का प्रयास किया की भारत मे हमेशा से ही धर्म समाज पर हावी है और रहा भारतीयों को शक्ति की बदौलत हीनियंत्रित किया जा सकता है। धार्मिक तथ्यों पर अधिक बल देने के कारण यह वर्गीकरण साम्प्र्दायिक वर्गीकरण कहलाया जो आगे चलकर द्विराष्ट्र सिद्धांत (TWO NATION THEORY) का आधार बना । जिसमे यह माना गया की हिन्दू और मुस्लिम केवल दो धर्म मात्र के प्रतिक नही है बल्कि यह दो अलग - 2 राष्ट्र के प्रतिधिक भी है। यही कारण आगे चलकर इसी द्वि राष्ट्र सिद्धांत के आधार पर भारत का विभाजन भारत और पाकिस्तान के रूप मे हुआ
जेम्स मिल के वर्गीकरण की आलोचना
1.) प्राचीन भारत के अधिकांश महत्वपूर्ण और प्रख्यात शासको ने हिन्दू धर्म है। 'सनातन धर्म के बजाय गैर सनातन धर्मो को संरक्षण प्रदान किया ।
उदाहरण के लिये चन्द्रगुप्त मौर्य - जैन धर्म
बिंदुसार - आजीवक संप्रदाय
अशोक - बौद्ध धर्म
कलिंग राज खारवेल - जैन धर्म
कुषाण शासक कनिष्क :- बौद्ध धर्म
कन्नौज का शासक हर्षवर्धन बौद्ध धर्म
2. प्राचीन कालीन शासको के शासन का आधार केवल धर्म शास्त्र यथा मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति, नारद स्मृति, काव्यायन "मृति आदि के आधार पर नहीं किया
बल्कि उनके शासन का आधार कॉटिल्य का अर्थशास्त्र भी था -इमी अर्थशात्र में सप्तांग विचारधारा का आधार है जो आम तौर पर भारतीय शासन व्यवस्था का आधार रहा है।
→ भारतीय धर्म आला यथा मनुस्मृति मे सभी वर्णो के लिए अलग - अलग का उल्लेख किया गया है जैसे बह्मणो के लिये छ कर्तव्यों का उल्लेख है ।।
1 अध्ययन
2 अध्यापन
3 यज्ञ करना
4 यज्ञ कराना
5 दान लेका
6 दान देना
ब्राह्मणों के लिए कहीं भी शासन सत्ता का उल्लेख नही मिलता यह अधिकार प्रयो को दिया गया था लेकिन हमे इतिहास मे अनेक ब्राह्मण वंशो का उल्लेख मिलता है -
(i) संगु वंग
(2) कव्व वैश
(3) सातवाहन वंश।
(4) मोखरी वंश
(5) कदम्ब वंश
(6) पल्लव वंश आदि :
3.) भारतीय धर्म शास्त्रो मे जो भी दि निर्देश दिये गये है उसका सैद्धांतिक महत्व अधिक हैं लेकिन उसका व्यवहारीक महत्व न के बराबर हे
उदाहरण के लिए 1-
बृहत्संहिता मे अलग - अलग वर्णों के लिये अलग न्याय व्यवस्था अलग आवास व्यवस्था, और रंग व्यवस्था का प्रयोग किया गया है
अतःहम कह सकते की मेक्स yeमुलर दुवारा किया गया वर्गीकरन का आधार सही नहीं है नए वर्गीकरण की आवशयकता पड़ी
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